रामपुर में लावारिस पशुओं को नहीं मिल रही चिकित्सा सुविधा, हाई कोर्ट के आदेशों की अवमानना

लावारिस पशु बीमार एवं चोटिल होने की सूचना देने पर तुरंत चिकित्सकीय सुविधा देनी होगी, हाईकोर्ट के आदेश है। 

डेली पोस्ट, रामपुर बुशहर:- शिमला जिला के रामपुर व आसपास लावारिस छोड़े गए पशुओं को समय पर चिकित्सक की सुविधा न मिलने से पशु प्रेमी हताश और परेशान  हैं । पशु प्रेमियों का कहना है कि क्षेत्र में ना तो 1962 पशुधन संजीवनी सेवा जवाब देही सेवाएं दे रही और ना ही विभागीय टीम से ऐसे पशुओ को समय पर प्राथमिक उपचार मिल रहा है । ऐसे में मार्गो पर चोटिल पशुओं को उपचार कैसे करवाए और कौन करें इसे लेकर लोगों में नकारात्मक संदेश जा रहा है। 


रामपुर के गीता महिमा गौशाला के महासचिव राम सिंह नेगी ने बताया कि 2 सप्ताह पूर्व नोगली के समीप एक बैल  वाहन की चपेट में आने से पैर फैक्चर हो गया था । बेजुबान पशु की पीड़ा को देखते हुए उसे गौशाला ले गए । उसके बाद 1962 पशुधन संजीवनी सेवा को भी कॉल की गई। संजीवनी सेवा से यह कहा गया कि रामपुर पशु पॉलीक्लिनिक में संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सक छुट्टी पर है जिस कारण उसका फैक्चर ठीक उन से नहीं हो सकता। चिकित्सक के छुट्टी से लौटने की प्रतीक्षा की जाए।  यह भी बताया गया कि प्लास्टर  एवं अन्य जरूरी दवाइयां भी बाजार से उपलब्ध करवाई जाए ताकि चिकित्सक के आने पर पलस्तर लग सके। गौ सदन संचालकों ने तुरंत बाजार से पलस्तर एवं अन्य दवाइयां  खरीद ली और चिकित्सक की प्रतिक्षा करते रहे। इसी बीच एक हफ्ते तक संजीवनी सेवा से मरहम पट्टी करने की गुहार लगाई जाती रही।तब जा कर संजीवनी सेवा मरहम पट्टी के लिए उपलब्ध हुई। लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक अब तक इलाज के लिए नहीं पहुंचे। इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध कराने के लिए निवेदन भी किया जाता रहा। लेकिन  दस जनवरी से सही उपचार न मिलने के कारण बैल का पैर सड़ने लगा है, उपचार कैसे किया जाए कैसे उसे पीड़ा से बचाए ये समस्या बनी है। 

राम सिंह नेगी ने बताया कि एक ओर तो प्रदेश सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है कि चाहे वह पशुधन संजीवनी सेवा  kहो या अन्य पशु चिकित्सा सुविधा जवाब दे दी जा रही है। लेकिन जमीन स्तर पर सारी सेवाएं पटरी से उतर गई है । उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश  माननीय उच्च न्यायालय ने सी डब्ल्यू पी 6631 ऑफ 2014  दिनांक 2 मई 2015 को निर्देश दिए थे कि किसी भी व्यक्ति द्वारा लावारिस पशु बीमार एवं चोटिल हो सूचना देने पर तुरंत चिकित्सकीय सुविधा देनी होगी। लेकिन उच्च न्यायालय के निर्देशों का भी यहां संबंधित विभाग की ओर से उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि लाचार पशुओं की सेवा के लिए पशुधन संजीवनी सेवा व सभी पशु चिकित्सालयों एवं स्टाफ को सजग कर  सेवा सुनिश्चित करने की मांग उठाई है। उन्होंने यह भी जरूरी करने की मांग की है कि  ऐसे  बेसहारा पशुओं के इलाज में जो दवाइयां लगती है वह विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए । अन्यथा कोई भी व्यक्ति ऐसी पशुओं को सड़क से उठाकर इलाज करने की हिम्मत नहीं जुटाएगा।

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