11 से 28 मार्च तक चलेगा हिमाचल विधानसभा का बजट सत्र, हंगामे के पूरे आसार



शिमला:- 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र 11 मार्च से शुरू होकर 28 मार्च तक चलेगा। इस सत्र में कुल 16 बैठकें प्रस्तावित हैं, जो राजनीतिक विवाद का कारण बन गई हैं। इस बजट सत्र के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच तीखी बहस और आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिलेंगे।

विपक्ष चाहेगा कि सरकार पर दबाव बनाया जाए और सत्र की अवधि बढ़ाई जाए, जबकि सरकार अपने बचाव में आर्थिक और विकास योजनाओं का हवाला देगी। आमतौर पर, पूरे वर्ष में 35 बैठकें होनी चाहिए, लेकिन इस बार कम बैठकें होने पर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। अब देखना होगा कि यह सत्र कितना प्रभावी रहता है और कौन-सा दल अपनी रणनीति में सफल होता है।

1. सत्र से पहले राजनीतिक सरगर्मियां

बजट सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार बहस और हंगामे की संभावना है। इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने अपनी-अपनी रणनीति तैयार करने के लिए बैठकें बुलाई हैं। भाजपा ने रविवार (10 मार्च) को शाम 7 बजे शिमला के ध्रुव होटल में बैठक बुलाई।

कांग्रेस ने सोमवार (11 मार्च) सुबह विधायक दल की बैठक तय की है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पूरे सत्र के दौरान शिमला में ही रहेंगे और रविवार को ‘ओक ओवर’ (सीएम का सरकारी आवास) में राजनीतिक हलचल तेज रहेगी। सर्वदलीय बैठक को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है, क्योंकि अभी तक विपक्ष के इसमें शामिल होने को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।

2. विपक्ष के मुख्य मुद्दे

भाजपा इस सत्र में सरकार को घेरने के लिए कई मुद्दों को उठाएगी, जिनमें शामिल हैं:

रोजगार संकट: प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर भाजपा सरकार पर सवाल उठाएगी।

संस्थानों का बंद होना: सरकार द्वारा विभिन्न संस्थानों को बंद करने के फैसले का विरोध।

भ्रष्टाचार के मामले: भाजपा, सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा सकती है।

नशे का बढ़ता प्रचलन (चिट्टा समस्या): प्रदेश में युवाओं में नशे की बढ़ती लत पर सरकार को घेरने की तैयारी।

कर्मचारियों की पेंशन और वेतन: सेवानिवृत्त कर्मियों की पेंशन और वेतन से जुड़े मुद्दे उठेंगे।

हिमकेयर योजना: भाजपा यह मुद्दा उठा सकती है कि सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं विफल हो रही हैं।

खाली पड़े पद और स्कूलों का समायोजन: सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की मांग।

सड़कों की हालत और रुके हुए विकास कार्य: सड़कों की जर्जर हालत और रुके हुए प्रोजेक्ट्स पर भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर सकती है।

3. सरकार का पक्ष

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और कांग्रेस सरकार इस सत्र में अपने कामों को जनता के सामने रखने की कोशिश करेगी।

कम बैठकों पर सफाई: विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि पूरे वर्ष में 35 बैठकें होंगी, भले ही वे मानसून या शीतकालीन सत्र में आयोजित की जाएं।

बजट पेश करने की तैयारी: कांग्रेस सरकार इस सत्र में ऐसा बजट पेश करने की तैयारी में है, जिससे जनता को राहत मिले और भाजपा के आरोपों का जवाब दिया जा सके।

सरकारी योजनाओं का प्रचार: कांग्रेस अपने किए गए कार्यों जैसे सामाजिक सुरक्षा पेंशन, स्वास्थ्य योजनाओं और विकास कार्यों पर जोर देगी।

4. संभावित टकराव और रणनीति

भाजपा का फोकस: सरकार की नाकामियों को उजागर कर सत्र में हंगामा करना।

कांग्रेस का बचाव: सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाकर विपक्ष के वार का जवाब देने की तैयारी में है।

सत्र में गर्मागर्मी: विपक्ष के आक्रामक रवैये और सरकार के बचाव के कारण सदन में हंगामे की स्थिति बन सकती है।

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